Monday, November 17, 2014

पिछला पतझड़

एक हैरानी सी होती है कभी 
पिछले पतझड़ शाख टूटी थी जब 
लगा था जैसे पेड़ मुरझा जाएगा अब 
लगा था जैसे …  छाओं का गिलाफ उतर गया है , 
और तपती ज़मीन की आदत डालनी पड़ेगी अब.…

दिन, महीने, मौसम, तब्दील हुए 
उस पेड़ पर फूल तो ना आये कोई 
पर जड़ मज़बूत है उस पेड़ की 
बांधे रखा, सींचे रखा और तरबियत की उस पेड़ की 

एक हैरानी सी होती है कभी,
पिछले पतझड़ लगा था जैसे कोई हरियाली नहीं फूटेगी अब
पर अब लगता है जैसे कुछ फलों की महक सी है 

पतझड़ तो और भी आएंगे अभी, 
ज़मीन में तपन तो अब भी बाकी है 
लेकिन ये जड़ अपनी मिट्टी से कुछ ऐसी जुडी है अब 
लगता है इस पेड़ ने कई सावन देखने है अभी 

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